4 yugas avatars | चार युगों के अवतारों के बारे में पूरी जानकारी 

4 yugas avatars (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग) के अवतारों के बारे में जानकारी इस प्रकार है:

4 yugas avatars
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4 yugas avatars के बारे में आज हम पूरी जानकारी देने जा रहे है। जैसा की आज कल की इस डिजिटल की दुनिया में बहुत ही कम लोग बचे है जो की चारों युगों के बारे में बहुत ही कम जानते है आशा है। कि हमारी जानकारी आपके कुछ काम आये। 

हमारे हिन्दू धर्म में चार युगों का वर्णन किया गया है। जिसमे कहा गया है कि भगवान विष्णु, जो की जगत के पालन हार और कर्ता धर्ता, है। उन्होंने ही चारों युगों में धर्म कि रक्षा, अधर्म का नाश और संतो की रक्षा के लिए पृथ्वी को बचने के लिए अलग अलग अवतार लिए थे इसलिए भगवान विष्णु को दशावतार कहा जाता है।

सनातन के चार युगों में मानव के आचरण, व्यवहार, आयु सीमा, मानव की लम्बाई आदि सभी में एक के बाद एक बदलाव आते गए। अभी जो वर्तमान में चल रहा कलयुग युग है जिसमे 5,126 साल बीत चुके है। इसको पूरा खत्म होने में अभी 4,26,874 साल बाकी है इसके बाद फिर से सतयुग आएगा।

सतयुग 4 yugas avatars में से एक

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कहा जाता है कि हमारे सनातन धर्म में सबसे पहला युग सनातन युग था जिसे सत्य का युग कहा जाता है। जिसका समय लगभग 17 लाख 28 हजार साल था। इसकी प्रमुख विशेषताएं-

सतयुग जिसे सत्य का युग कहा जाता है क्यूंकि इसमे सत्य, दया, ताप, ब्रम्हचर्य, केवल इन्ही चार को महानता दी गयी थी और साथ ही मनुष्यों में इसमे आयु, बल, सतगुण विद्धमान थे।

इस युग में मनुष्यों की उम्र लगभग 1,00,000 साल थी। सतयुग में शास्त्रों के अनुसार मानव की लम्बाई 35 फीट होती थी।

सतयुग में मानव केवल शाकाहारी भोजन ही करते थे जैसे: फल, दूध, अन्न आदि। इस युग में कोई शासन नही था केवल ऋषि मुनियों का समय था जिसमे लोग धर्म, ताप और योग में जीवन विताते थे।

सतयुग में ब्रह्मा जी के द्वारा चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनाये गए थे। सतयुग में पूजे जाने वाले देवी देवता भगवान विष्णु, ब्रह्मा, शिव, माता पार्वती, और माता सरस्वती जी है।

इसी युग में ही ऋषियों के द्वारा चारो वेदों (ऋग्वेद, यार्जुर्वेद, सामवेद, अर्थर्वेद ) की रचना की गयी थी। इस युग में कोई झूठ नही केवल सत्य को ही परम धर्म मन जाता था न कोई प्रदुषण पर्यावरण पूरी तरह शुद्ध था मानो विल्कुल पृथ्वी स्वर्ग के जैसी थी।

अवतार

सतयुग में भगवान विष्णु जी ने सृष्टि को बचाने के लिए चार अवतार लिए थे। जिसमे-

  • मत्स्य अवतार- भगवान विष्णु जी ने मत्स्य अवतार शंखासुर को हराने के लिए लिया था। 
  • कुर्म अवतार- इस अवतार को लेने का उद्देश्य वेदों को सुरक्षित करने के लिए लिया था। 
  • वराह अवतार- भगवान विष्णु जी ने पृथ्वी को बचाने के लिए वराह अवतार लिया था। 
  • नरसिंह अवतार- विष्णु जी ने हिरन्यकश्यप का वध करने के लिए ये अवतार लिया था।

त्रेतायुग

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हिन्दू धर्म के आनुसार सतयुग के बाद त्रेतायुग आया था इसका समय 17,28,000 साल था इस युग में धर्म तीन पैरो पर खड़ा था और अधर्म की शुरुआत होने लगी थी। 

इस युग तीन पैरो पर खड़ा था धीरे-धीरे अधर्म बढने लगा था। इस युग में मानव सतयुग की तुलना में छोटे और कमजोर होने लगे थे। 

इस युग में मानव की उम्र 10,000 से 20,000 साल होती थी।  त्रेतायुग में शासन व्यवस्था होने लगी थी जिसमे राजाओं के आनुसार सत्य और धर्म का पालन होने लगा। 

त्रेतायुग में भी लोग भक्ति, तप और योग करते थे मगर सतयुग की तरह पूरी श्रद्धा नही होती थी। त्रेतायुग में पर्यावरण आसंतुलित होने लगा। 

इस युग में मानव के मन में लोभ, लालच, इर्ष्या, धीरे-धीरे बढने लगी।  इसी युग में भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा अधर्म का नाश करने के लिए राम जी के रूप में अवतार लिया था।  त्रेतायुग में युद्ध भी होने लगी उदाहरण भगवान राम और रावण का युद्ध। 

अवतार

वामन अवतार- त्रेतायुग में भगवान विष्णु जी ने पाचवा अवतार वामन अवतार लिया था इसमे विष्णु जी वामन नाम के बौने ब्राह्मण का रूप लिया था जिससे उन्होंने रजा बलि के पास जाकर तीन पग की भूमि मांगी थी। 

परशुराम अवतार- यह भगवान विष्णु जी का छठा अवतार था इसमे विष्णु जी ने ऋषि के रूप में भगवान शिव जी एक विशेष फरसा पायें थे उसी कारण से वे परशुराम कहलाये थे। 

राम अवतार- सतयुग से लेकर त्रेतायुग तक में भगवान विष्णु जी का यह सातवाँ अवतार था उन्होंने अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। जिसमे उन्होंने ने मर्यादा और पुरुषार्थ को स्थापित किये थे। और इसी अवतार में इन्होने अहिल्या को श्राप मुक्त किया था लंकापति रावण सहित कई राक्षसों का वध किया था।

द्वापरयुग

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यह युग कलयुग से पहले और त्रेतायुग के बाद आया था इस युग का समय 8,64,000 साल था। इसमे धर्म के तीन पैर थे इस युग में धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष चरम सीमा पर था। इसी युग में भगवान विष्णु जी ने कान्हा जी के रूप में अवतार लिया था। और महाभारत कांड इसी युग में हुआ था भागवत गीता को इसी युग ऋषिमुनि “वेद व्यास” जी के  लिखा गया था।

द्वापर युग में धर्म दो पैरो पर खड़ा था। द्वापर युग में धर्म का पालन भी था और साथ ही लोगो के मन में इर्ष्या, लालच, पाप, अधर्म ये सब त्रेतायुग से ज्यादा बढ़ गया था। 

इस युग में कला, संगीत, और ज्ञान का विकास हुआ था।  इस युग में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ने लगी थी साथ ही मानव में रोग का भी विकास होने लगा था। 

इस युग में मानव की उम्र 200 साल तक होने लगी थी। इसी युग में वेदों को चार भागों में विभाजित किया गया था। द्वापर युग में लोग भौतिक और अध्यात्मिक लाभ के लिए यज्ञ तप करने लगे। 

अवतार

कृष्णा अवतार- भगवान विष्णु जी ने धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश, भक्तों की रक्षा करने के लिए कृष्णा अवतार लिए थे जिसमे कई राक्षस मानव के रूप में जन्म लिये थे। जैसेः कंस, नरकासुर, कालयवन, दुर्योधन, जिनकी वजह से अधर्म की बहुत हानि हुयी थी। 

कृष्णा अवतार, भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार थे इसी युग में महाभारत युद्ध के दौरान कृष्णा जी ने अर्जुन को सार कर्तव्यों का ज्ञान दिया था जिसे भागवत गीता नाम दिया था।

बलराम अवतार- ये अवतार कृष्णा जी के बड़े भाई, के रूप मन जाता है। 

वेदव्यास अवतार- द्वापरयुग में ही ऋषि वेदव्यास जी का अवतार हुआ था इन्होने ही भागवत गीता को लिखा था।

कलयुग

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हिन्दू धर्म के आनुसार कलयुग चौथा और आखरी युग है। जिसकी शुरुआत भगवान कृष्णा जी जब पृथ्वी छोड़कर जाने के बाद शुरू हो गयी थी। इसका पूरा समय 4,32,000 साल का युग है।हो गयी है। जिसमे से अबतक 5,126 साल बीत चुके है इस युग में धर्म की प्रधानता घट कर न के बराबर और इस युग में अधर्म, झूठ, हिंसा, लोभ, अन्याय, की प्रबलता बढ़ गयी है।

कलयुग में धर्म एक पैरों पर खड़ा है या मान लीजिये धर्म का केवल एक चौथाई भाग ही बचा है कलयुग चारों युगों में से सबसे ख़राब युग है कहा जाता है युगों का एक चक्र चलता है जिससे इस युग के बाद फिर सतयुग आएगा। 

अभी वर्तमान हम मनुष्य कलयुग के पहले चरण में जी रहे है। कलयुग में मानव की उम्र घटकर द्वापर युग से कम हो गया है लगभग 80 से 100 साल हो गया है। और साथ ही लम्बाई घटकर 5 से 7 फीट हो गया है। 

कलयुग में प्राकृतिक आपदाएं बढ गयी है जिससे पृथ्वी पर विनाश बढता जा रहा है। इस युग में मानव शाकाहारी भोजन के साथ मांसाहारी भोजन पर भी निर्भर होने लगे है एक समय में “जीव हत्या” सबसे बड़ा पाप था आज इस कलयुग में जीव हत्या आम बात हो गयी है। 

कलयुग का मुख्य लक्षण है कि मनुष्य स्वार्थ और अंहकार में डूबा रहता है। इस युग में लोगो में भक्ति और साधना नाम मात्र रह गयी है। कलयुग में जितनी अधिक भौतिक शुख सुविधाएँ बढ गयी है मगर मनुष्य को मानसिक शांति नही है।

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अवतार

कलयुग में अभी तक कोई अवतार नही हुआ है कहा जाता है। कि भगवान विष्णु जी पृथ्वी पर कल्कि रूप में अवतार लेंगे जो की दसवां और आखरी अवतार होगा। जिसमे वे धर्म की पुनः स्थापना करेंगे ये अवतार तब होगा जब पाप, अधर्म, आपने चरम सीमा पर होगा।

निष्कर्ष 

चारों युगों में भगवान विष्णु जी ने पृथ्वी पर अलग-अलग अवतार लेकर धर्म की रक्षा की है और अधर्म का नाश किया है हालाँकि अभी कलयुग में कल्कि अवतार लेना बाकी है मगर और तीनो युगों में उन्होंने मानवता को एक नई दिशा दी है जैसे: सतयुग में सत्य, त्रेतायुग में मर्यादा, द्वापरयुग में भक्ति, और कलयुग में आशा जो अभी बाकी है कल्कि अवतार के आने के साथ एक बार फिर से सत्ययुग की शुरुआत होगी, जहाँ धर्म, न्याय और शांति का राज्य फिर से शुरू होगा।